गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी भवन में गीता ग्रंथालय (पुस्तकालय) और वाचनालय संचालित है। भक्ति, ज्ञान और कर्म का पाठ पढ़ाने वाली गीता के विस्तृत अध्ययन, शोध और प्रचार- प्रसार का प्रकल्प ही गीता शोध संस्थान की स्थापना का प्रमुख ध्येय है। भवन के भूतल पर गीता ग्रन्थालय (पुस्तकालय) और वाचनालय है। इसमें गीता पर अनेक लेखकों व प्रकाशकों के अलग-अलग ग्रन्थ उपलब्ध हैं। इसके अलावा ब्रज की संस्कृति, कला, विधा पर विभिन्न लेखकों जुड़ी पुस्तकें, धार्मिक साहित्य भी है। सामाजिक विषयों पर लिखी अनेक पुस्तकें, अनेक महापुरूषों की जीवनी आदि भी ग्रंथालय में रखी गयीं हैं। ग्रंथालय के लिए साहित्य उपलब्ध कराने एवं उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद के लिए साहित्य प्रकाशन का दायित्व वाणी प्रकाशन नई दिल्ली कर रहा है। 60 वर्ष प्राचीन इस प्रतिष्ठित प्रकाशन ग्रुप से परिषद का एमओयू (अनुबंध) है।
08 अगस्त 2023 को उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद भवन में मुख्य कायर्पालक अधिकारी श्री नगेन्द्र प्रताप जी के निर्देशन में परिषद और भक्ति वेदांत रिसर्च सेंटर पुणे के मध्य गीता के अध्ययन, शोध, लेखन व शैक्षणिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए एमओयू हुआ। एमओयू के लिए आयोजित बैठक में भक्ति वेदांत रिसर्च सेंटर पुणे के पदाधिकारी 01-Dr. Kondiram Dhumal 2. Dr. Janardan Chitode 3. Shri. Sanjay Bhosale 4. Bhushan Kumar Chaudhari और उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद की बैठक में मुख्य कार्यपालक अधिकारी के अलावा उप मुख्य कायर्पालक अधिकारी श्री जे पी पांडेय जी, ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डा. उमेश चंद्र शर्मा जी, सहायक अभियंता श्री आर पी सिंह यादव जी, गीता शोध संस्थान वृंदावन के समन्वयक चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार उपस्थित रहे।
12 जून 2023 को उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग के अधीन भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय लखनऊ और उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद के अधीन गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी, वृंदावन का एमओयू (अनुबंध) हुआ है। इस एमओयू के तहत गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी में रासलीला अध्ययन केंद्र खोला गया है। इसमें एक वर्षीय सर्टिफिकेट कोर्स प्रारंभ किया है। इसमें उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ नगेंद्र प्रताप जी की अहम भूमिका रही है। ये एमओयू लखनऊ स्थित भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय में कुलपति प्रोफेसर मांडवी सिंह की उपस्थिति में हुआ। उप्र तीर्थ विकास परिषद की ओर से ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डॉ उमेश चंद्र शर्मा और गीता शोध संस्थान के कोऑर्डिनेटर चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार ने तथा विश्वविद्यालय की ओर से रजिस्ट्रार डा सृष्टि दुहन पीसीएस, संगीत के विभागाध्यक्ष ज्ञानेंद्र वाजपेयी व डा सीमा भारद्वाज ने ये एमओयू किया
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